हाफ़ टिकट वाक्य
उच्चारण: [ haaf tiket ]
उदाहरण वाक्य
- सीधी लगी दिल पे हाफ़ टिकट किशोर कुमार
- याद करिए काग़ज़ के फूल, मदर इंडिया, पाकीज़ा, हाफ़ टिकट या फिर पड़ोसन.
- किशोर कुमार और मधुबाला अभीनीत ये फ़िल्म थी हाफ़ टिकट जिसका शुमार सर्वश्रेष्ठ हास्य फ़िल्मों मे किया जाता है।
- लता मंगेशकर, प्रसिद्ध पार्श्वगायिका ' न्यू देलही ', ' आशा ', ' झुमरू ', ' हाफ़ टिकट ', ' चलती का नाम गाड़ी ' उनकी कुछ अहम फ़िल्में रही.
- सारांश-महेश भट्ट 1962 साहिब, बीवी, और ग़ुलाम-अबरार अल्वी 1981 सिलसिला-यश चोपड़ा 1964 हक़ीक़त-चेतन आनंद 1994 हम आपके हैं कौन-सूरज बड़जात्या 1962 हाफ़ टिकट-कालिदास स्टार वार्स एपिसोड
- उनके गाए इन तमाम गीतों में से आज के लिए हमने जिस गीत को चुना है वह है सन् १ ९ ६ २ की फ़िल्म ' हाफ़ टिकट ' का, और गीत के बोल हैं “ चील चील चिल्लाके कजरी सुनाए, झूम झूम कौवा भी ढोलक बजाए ”, जो फ़िल्म में भी उन्होंने ही गाया है और साथ में प्राण साहब भी हैं।
- आज तक किसी को ये नहीं पता चला है कि मैं कई गत वर्षों से “ चुपके चुपके ” अनगिनत “ गोलमाल ” काम किये चला जा रहा हूँ. उदाहरण के लिये भारतीय रेल में हमेशा “ हाफ़ टिकट ” लेकर ही यात्रा करता हूँ और “ पड़ोसन ” के घर की “ दीवार ” से लटकती हुई “ अंगूर ” की बेलें चुप चाप रात को काट लिया करता हूँ.
- किशोर दा के बारे में तो यह और भी शिद्दत से होता है क्योंकि उनके अभिनय और निर्देशन से सजी कई फ़िल्मों की रीलें मन पर छपी हुई हैं, चाहे “ भाई-भाई ” में अशोक कुमार से टक्कर हो, “ हाफ़ टिकट ” में हाफ़ पैंट पहने मधुबाला से इश्कियाना हो, “ प्यार किये जा ” के नकली दाढी़ वाले बूढे हों या फ़िर “ पडो़सन ” के मस्तमौला गुरु हों...
- दिन-बापू 1982 शक्ति-रमेश सिप्पी 1977 शतरंज के खिलाड़ी-सत्यजीत राय 1973 शोले-रमेश सिप्पी 1959 सुजाता-बिमल राय 1969 सत्यकाम-ऋषिकेश मुकर्जी 1998 सत्या-रामगोपाल वर्मा 1983 सदमा-बालू महेंद्र 2004 स्वदेस-आशुतोष गोवारिकर 1985 सागर-रमेश सिप्पी 1984 सारांश-महेश भट्ट 1962 साहिब, बीवी, और ग़ुलाम-अबरार अल्वी 1981 सिलसिला-यश चोपड़ा 1964 हक़ीक़त-चेतन आनंद 1994 हम आपके हैं कौन-सूरज बड़जात्या 1962 हाफ़ टिकट-कालिदास
- वैसे रमेश पंत एक सफल संवाद व पटकथा लेखक रहे हैं और उन्होंने कई कामयाब फ़िल्मों के संवाद और पटकथा लिखे हैं जिनमें शामिल है हाफ़ टिकट, कश्मीर की कली, ये रात फिर ना आएगी, दो दिलों की दास्तान (१९६६), ऐन ईवनिंग् इन पैरिस, दो भाई (१९६९), आराधना, पगला कहीं का, अमर प्रेम, अधिकार, राखी और हथकड़ी, मेरे जीवन साथी, राजा जानी, बनारसी बाबू, झील के उस पार, आपकी क़सम, आक्रमण, काला सोना, हरफ़न मौला, एक से बढ़कर एक, भँवर, भोला भाला, सुरक्षा, आशा, आसपास, अगर तुम ना होते, अफ़साना प्यार का, इसी का नाम ज़िंदगी।
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